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Friday, September 16, 2011

फिल्म समीक्षाः बाडीगार्ड


 
बॉडीगार्ड एक वन-मैन शो फिल्म है । फिल्म की पटकथा सलमान खान को ध्यान में रखकर लिखी गयी है । खासकर सलमान के चुलबुले अंदाज को , जो दबंग से लेकर रेडी तक देखने को मिलता है । बॉडीगार्ड एक जबरदस्त एक्शन फिल्म है, जिसमें रोमांस का छौंक लगाया गया है । बॉडीगार्ड में साउथ के फिल्मों की तरह हैरतअंगेज़ एक्शन-फैंटेसी की झलक मिलती है । आमतौर पर ऐसे एक्शन सीन रजनीकांत के फिल्मों में होता है । सलमान का अपनी अन्य फिल्मों की तरह इस फिल्म में भी एक लोकप्रिय संवाद है कि मुझपर इतना एहसान करना कि कोई एहसान नहीं करना
                        फिल्म के संवाद सपाट और भावहीन हैं । फिल्म की कहानी वन-लाइन स्टोरी है । बॉडीगार्ड लवली सिंह (सलमान) को दिव्या (करीना) की सिक्यूरिटी की डयूटी मिलती है । दिव्या, लवली सिंह को परेशान करने के चक्कर में उससे प्यार करने लगती है । इंटरवल तक एक्शन और फिल्म  का मधुर संगीत दर्शकों को बांधे रखता है । इंटरवल के बाद फिल्म में थोड़ा सस्पेंश पैदा किया गया है । लेकिन इस फिल्म का अंत बॉलीवुड के ज्यादातर फिल्मों की तरह सुखद ही होता है।                 
                          फिल्म की कहानी का निर्देशन मलयालम के मशहूर निर्देशक सिद्दीकी ने किया है । सिद्दीकी देश के ऐसे पहले निर्देशक हैं जिन्होंने एक ही फिल्म को चार बार निर्देशित किया है । बॉडीगार्ड पहले मलयालम में बनी, बाद में इसे तमिल ,तेलुगू और हिन्दी भाषा में भी बनाया गया । पटकथा और संवाद सिद्दीकी, जयप्रकाश चौकसे और किरण कोटियार ने लिखा है । गीत शब्बीर अहमद और निलेश मिश्रा ने लिखें हैं, जिसे संगीतबद्ध किया है हिमेश रेशमिया ने । विक्की सिदाना का एक्शन काफी रोमांचित करने वाला है । सिनेमेटोग्राफी सेजल शाह की है । बाक्स आफिस पर पहले ही दिन इसने धमाकेदार प्रदर्शन किया है । इस फिल्म से यह उम्मीद की जा रही है कि  यह बाक्स आफिस पर एक नया रिकार्ड बनाएगी।

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