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Sunday, February 15, 2009

प्यार तो होता क्यों हैं ?

प्यार को कभी भी किया नहीं जा सकता।
प्यार तो अपने आप हो जाता है।
दिन और रात... धरती और आसमान, एक दूसरे के बिना सब अधूरे हैं।
सन -सन करती हवाएं, सुन्दर नजारे, फूलों की खुशबू ... सभी में छिपा होता है
प्यार... कुछ तो प्यार में हारकर भी जीत जाते हैं,
तो कुछ जीतकर भी अपना प्यार हार जाते हैं।
प्यार एक ऐसा नशा है जिसमें जो डूबता है वो ही पार होता है।
प्यार पर किसी का वश नहीं होता.... अगर आप भी प्यार महसूस करना चाहते हैं
तो डूबिये किसी के प्यार में ... दुनिया की सबसे बड़ी नेमत है
ढाई आखर का प्यार... जब आप भी किसी को चाहने लगते हैं
तो उसके दूर होने पर भी आपको नजदीक होने का अहसास होने लगता
है , हर चेहरे में आप उसका चेहरा ढूंढने की असफल कोशिश करते हैं,
कोई पल ऐसा न गुजरता होगा जब उसका नाम आपके होठों पर न रहता हो ...
यही तो होता है प्यार... सुन्दर, सुखद , निश्छल और पवित्र अहसास।
पूरी दुनिया के सुख इस प्रेम में समाए हुए हैं।

2 comments:

Akanksha Yadav said...

Sundar bhavo se bhari kavita !!

संगीता पुरी said...

बहुत सही परिभाषित किया....