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Sunday, November 2, 2008

दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय: डूसू चुनाव 2008 एक ओर जहॉं देश के बडे़-बडे़ विश्विद्यालयों में एक अरसे से छात्र संघ चुनाव नही हुए हैं। वहीं देश के दो बडे केन्द्रीय विश्‍वविद्यालय नियमित रूप से छात्र संघ चुनाव करवा रहे हैं। ये दोनों विश्‍वविद्यालय हैं डीयू तथा जेएनयू। आने वाले महीने में डूसू चुनाव होने वाले हैं। डूसू चुनाव को देखते हुए पिछले वर्ष सर्वोच्‍च न्यायालय ने लिंगदोह समिति की सिफारिशों को लागू किया। सिफारिश में चुनाव की सीमा पॉंच हजार रूपये निर्धारित की गई। चुनाव खर्च मात्र पॉंच हजार तक सीमित किए जाने को लेकर छात्र संघों में जबरदस्‍त असंतोष व्‍याप्‍त हैं।वैसे डूसू चुनाव का इतिहास देखा जाए तो मुख्‍य मुकाबला एनएसयुआई तथा एबीवीपी के बीच रहा हैं। कुछ दल जैसे एसएफआई एनएसओआई तथा एआईएसए संघर्ष को त्रिकोणात्‍मक बनाने में लगे हैं। परंतु पिछले वर्षो की तरह इस वर्ष भी मुख्‍य मुकाबला एनएसयुआई और एबीवीपी के बीच नज़र आ रहा हैं।एक ओर जहॉं एनएसयुआई एवं एबीवीपी ने चुनावी पर्चो पर हजारों रूपये खर्च किए हैं। वही वामवपंथी छात्र संगठन जैसे एसएफआई और एआईएसए ने लिंगदोह समिती की सिफरि‍शों को ध्‍यान में रखते हुए कम से कम धन खर्च किया हैं। इब यह भी देखना लाजमी होगा कि डूसू चुनाव लिंगदोह समिती की सिफारिशों की किस हद तक अवहेलना करता हैं।डूसू चुनाव में खर्च की सीमा को तय करने के लिए विश्‍वविद्याल को आदर्श प्रारूप बनाना चाहिए,जिससे छात्रसंघ में व्‍याप्‍त असंतोष को दूर किया जा सके। साथ ही चुनाव के दौरान कैपंस में कडी निगरानी रखनी चाहिए जिससे कि कोई हिंसक वारदात न हो। अगर छात्रसंघ एवं विश्‍वविद्यालय प्रशासन इस दिशा में पहल करे तो एक आदर्श लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था कायम की जा सकती हैं।

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