कलकत्ता में अरुंधती राइ चौधरी के द्वारा वेद पाठ करने के कार्यकर्म का विरोध स्पस्ट शब्दों में विरोध पुरी के शंकराचार्य ने किया ऐसे परिस्थिति में यह जुमला ठीक लगता हैं " मन न रंगाये योगी ,रंगाये गए कपड़ा ,
दाढ़ी बढ़ा के योगी , हो गए बकरा "
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